الاداب والاستئذان آداب اور اجازت طلب کرنا अख़लाक़ और अनुमति मांगना 1746. کسی نیکی کو حقیر نہ سمجھا جائے، عار دلانا اور سب و شتم کرنا منع ہے 1746. “ किसी भी नेकी को छोटा नहीं समझना चाहिए ، निंदा करना और अत्याचार करना मना है ” 1747. تین نیکیاں اور تین برائیاں 1747. “ तीन अच्छे काम और तीन बुरे काम ” 1748. نماز اور غلاموں کے بارے میں اللہ تعالیٰ سے ڈرنا 1748. “ नमाज़ और ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरना चाहिए ” 1749. بابرکت کھانا 1749. “ बरकतों वाला खाना ” 1750. ٹیک لگا کر کھانا کیسا ہے؟ 1750. “ टेक लगाकर खाना कैसा है ” 1751. برتن میں رکھے ہوئے کھانے کی چوٹی سے کھانا ناپسندیدہ ہے 1751. “ बर्तन में रखे खाने के ऊपर से खाना पसंद नहीं किया गया है ” 1752. کھڑا ہو کر کھانا پینا کیسا ہے؟ 1752. “ खड़े होकर खाना कैसा है ” 1753. محبوب لوگ اور محبوب اعمال 1753. “ प्रिय लोग और प्रिय कर्म 1754. دوسروں کے لیے اسی چیز کو ترجیح دینا، جو خود کو پسند ہو 1754. “ दूसरों के लिए वह ही चीज़ पसंद की जाए जो आप को पसंद हो ” 1755. اچھا شگون لینا 1755. “ अच्छा शगुन लेना ” 1756. اجازت لینے کا طریقہ 1756. “ अनुमति कैसे मांगी जाए ” 1757. محبوب ترین نام 1757. “ पसंदीदा नाम ” 1758. بدترین نام 1758. “ सबसे बुरा नाम ” 1759. اچھے اور برے لوگوں کی علامتیں 1759. “ अच्छे और बुरे लोगों की निशानियां ” 1760. ظاہری مرتبت کا پاس و لحاظ کرنا 1760. “ इन्सान के मरतबे को ध्यान में रखना चाहिए ” 1761. محبوب کو محبت کی خبر دینا 1761. “ प्रिय को प्यार के बारे में बताना ” 1762. دعا کے آداب 1762. “ दुआ मांगने के नियम ” 1763. دعا نہ کرنے والا انتہائی عاجز اور غافل ہے 1763. “ जो दुआ नहीं करता वह बहुत बेबस और बेख़बर है ” 1764. لیٹنے کے آداب 1764. “ लेटने के नियम ” 1765. سلام عام کرنا 1765. “ सलाम को फैलाना ” 1766. عورتوں کو سلام کہنا 1766. “ औरतों को सलाम करना ” 1767. سلام میں «ومغفرته» کا اضافہ 1767. “ सलाम में «ومغفرته» की बढ़ोतरी ” 1768. بچوں کو سلام کہنا 1768. “ बच्चों को सलमा करना ” 1769. کلام سے پہلے سلام 1769. “ बात करने से पहले सलाम करना ” 1770. مجلس سے جاتے وقت سلام کہنا 1770. “ सभा में आते समय सलाम करना ” 1771. سلام کے آداب 1771. “ सलाम करने के नियम ” 1772. یہودیوں کا انداز سلام 1772. “ यहूदियों का सलाम करने का ढंग ” 1773. سلام اور مصافحہ کی فضیلت 1773. “ सलाम और मुसाफ़ह करने ( यानि हाथ मिलाने ) के नियम ” 1774. ملاقات کے وقت مصافحہ اور معانقہ کرنا اور بوسہ لینا 1774. “ किसी से मिलते समय हाथ मिलाने ، गले मिलने और चुम्बन लेने के बारे में ” 1775. مصافحہ کیسے کیا جائے؟ بوقت الوداع مقیم اور مسافر کی دعائیں 1775. “ हाथ कैसे मिलाएं ? रहने वाले और यात्री की विदाई दुआ ” 1776. ملاقات کے وقت جھکنا 1776. “ मिलते समय झुकना ” 1777. مصافحہ کا نبوی انداز 1777. “ रसूल अल्लाह ﷺ कैसे हाथ मिलाते थे ” 1778. غیر مسلموں کو سلام کہنا 1778. “ ग़ैर-मुस्लिमों को सलाम कैसे करें ” 1779. غیر محرم عورتوں سے مصافحہ کرنا منع ہے 1779. “ ग़ैर-महरम औरतों से हाथ मिलाना मना है ” 1780. آنکھ اور ہاتھ کا زنا 1780. “ आंख और हाथ का ज़िना ” 1781. مسلمانوں کی باہمی محبت اور رحمدلی 1781. “ मुसलमानो में आपस का प्रेम और रहमदिली ” 1782. مسلمان کو اذیت پہنچانا باعث لعنت ہے 1782. “ मुसलमान को कष्ट देने पर लाअनत है ” 1783. مسلمان کی ساکھ برقرار رکھنا عظیم عمل ہے 1783. “ मुसलमान की साख बनाए रखना एक महान कार्य है ” 1784. مسلمان کی بے عزتی کرنا سنگین جرم ہے، مسلمان کی عزت کعبۃ اللہ سے زیادہ ہے 1784. “ मुसलमान का अपमान करना एक गंभीर अपराध है ، एक मुसलमान का सम्मान अल्लाह के काबा से अधिक है ” 1785. غیرمسلموں کے سلام یا بددعاؤں کا جواب کیسے دیا جائے؟ 1785. “ ग़ैर-मुस्लिम के सलाम का और बुरी दुआ का कैसे जवाब दिया जाए ” 1786. مجلس کے آداب 1786. “ सभा के नियम ” 1787. وسیع مجلس بہترین ہوتی ہے 1787. “ बढ़ी सभा अच्छी होती है ” 1788. خطبہء جمعہ کے لیے بیٹھے ہوئے لوگوں کی گردنیں پھلانگنا منع ہے 1788. “ जुमा के ख़ुत्बे के समय बैठे हुए लोगों की गर्दनें फलांग कर जाना मना है ” 1789. یہ منع ہے کہ آدمی کے جسم کے بعض حصے پر دھوپ اور بعض پر سایہ پڑ رہا ہو 1789. “ ऐसी जगह बैठना मना है जहाँ शरीर के कुछ भाग पर छाया हो और कुछ पर धुप 1790. مجلس امانت ہوتی ہے 1790. “ सभा एक अमानत होती है ” 1791. کفارہ مجلس کی دعا 1791. “ सभा के कफ़्फ़ारह की दुआ ” 1792. گھر اور گھر میں موجودہ اشیا کی حفاظت کے آداب، ابتدائے رات اور رات کو گھروں سے باہر نہ نکلیں 1792. “ घर और घर में मौजूद चीज़ों की सुरक्षा के नियम ، रात के पहले समय और रात में बाहर न जाएं ” 1793. رات کو آگ کے آثار ختم کر دینا 1793. “ रात में आग लगने के संकेतों को हटा दें ” 1794. رات کے چھا جانے کے بعد گفتگو سے اجتناب کیا جائے 1794. “ रात के अंधेरे के बाद बात करने से बचें ” 1795. بعض افراد کے لیے شب کی گفتگو کا جواز 1795. “ वे लोग जो रात में बात कर सकते हैं ” 1796. نماز میں تھوکنا 1796. “ नमाज़ पढ़ते हुए थूकने के बारे में ” 1797. نیک اور برے خواب اور دونوں کے احکام اور اقسام 1797. “ अच्छे और बुरे सपने और दोनों के नियम और प्रकार ” 1798. خواب کس کے سامنے بیان کیا جائے 1798. “ सपने के बारे में किसे बताना चाहिए ” 1799. خواب کی تعبیر کی اہمیت 1799. “ सपने की ताबीर की एहमियत ” 1800. رخصت ہونے کے لیے مہمان کا میزبان سے اجازت لینا 1800. “ मेज़बान से जाने की अनुमति लेना ” 1801. مہمان کا ماکول و مشروب کی بابت کوئی سوال نہ کرنا 1801. “ मेहमान से खाने-पीने के बारे में न पूछें ” 1802. کسی کے سامنے اس کی تعریف کرنا کیسا ہے؟ 1802. “ किसी के सामने उसकी तअरीफ़ करना कैसा है ” 1803. دعا کے دوران ہاتھوں کی کیفیت 1803. “ दुआ करते समय हाथ किस तरह से हों ” 1804. کتے کی بھونک اور گدھے کی رینگ سن کر اللہ کی پناہ طلب کرنا 1804. “ कुत्ते की भौंकने और गधे की हींगने की आवाज़ सुनकर अल्लाह की शरण मांगे ” 1805. خادموں اور غلاموں کے حقوق، روزی عطا کرنے کے انداز 1805. “ नौकरों और सेवकों के अधिकार ، खाना कैसे दिया जाए ” 1806. چہرے پر مارنے سے اجتناب کرنا 1806. “ चेहरे पर मारने से बचा जाए ” 1807. چھینک کے آداب 1807. “ छींकने के नियम ” 1808. تین دفعہ چھنکینے والے کا جواب 1808. “ तीन बार छींकने वाले का जवाब ” 1809. منافق کو سید کہنا غضب الٰہی کا سبب ہے 1809. “ मुनाफ़िक़ को सय्यद कहना अल्लाह तआला के ग़ुस्से का कारण है ” 1810. خطبہ جمعہ کے آداب 1810. “ जुमा के दिन ख़ुत्बे के नियम ” 1811. خطبہ کے آداب 1811. “ ख़ुत्बे के नियम ” 1812. مسلمان کے مال پر ناحق قبضے کا انجام بد 1812. “ मुसलमान के माल को नाजाइज़ ढंग से हथियाने का नतीजा ” 1813. مخفی انداز میں لوگوں کی ضروریات پوری کرنا اور اس کی وجہ 1813. “ गुप्त रूप से लोगों की ज़रूरतों को पूरा करना और क्यों ? ” 1814. جوتے پہن کرچلنا چاہئے 1814. “ जूते पहन कर चलना चाहिए ” 1815. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا ہر آدمی کو راضی کرنے کا ایک انداز 1815. “ हर आदमी को ख़ुश करने का रसूल अल्लाह ﷺ का तरीक़ा ” 1816. اچھے امر کے لیے شفاعت باعث اجر ہے 1816. “ अच्छे कर्मों के लिए सिफ़ारिश करने का बदला मिलता है ” 1817. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی مخصوص علامتیں، رسول اللہ صل اللہ علیہ وسلم کا اپنے صحابہ کی معاونت کرنا، تلاش حق کے لیے سیدنا سلمان فارسی رضی اللہ عنہ کا سفر نامہ 1817. “ रसूल अल्लाह ﷺ की विशेष निशानियां ، रसूल अल्लाह ﷺ का अपने साथियों की सहायता करना ، सच की खोज के लिए हज़रत सलमान फ़ारसी की यात्रा की कहानी ” 1818. کھانا کھلانے اور بھائی چارہ قائم کرنے کا حکم 1818. “ खाना खिलने और भाईचारा बनाने का हुक्म ” 1819. سانپ اور کتے کو قتل کرنا 1819. “ सांप और कुत्ते को मारना ” 1820. سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا کی کنیت 1820. “ हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा की कुन्नियत ” 1821. مجاہد، مؤمن اور مہاجر کی تعریف 1821. “ मुजाहिद ، मोमिन और मुहाजिर की परिभाषा ” 1822. بہترین اور بدترین لوگ، اللہ تعالیٰ کے نام پر سوال کرنا 1822. “ सबसे अच्छे और बुरे लोग ، अल्लाह तआला के नाम पर मांगना ” 1823. جنتی افراد 1823. “ जन्नती लोग ” 1824. غیر محرم عورت کے پاس رات گزارنا منع ہے 1824. “ ग़ैर-महरम औरत के साथ रात बिताना मना है ” 1825. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی طرف سے دی گئی زحمت بھی رحمت ہے 1825. “ रसूल अल्लाह ﷺ की ओर से दिया गया कष्ट भी एक दया है ” 1826. بال سنوارنا اور لباس صاف ستھرا رکھنا 1826. “ बालों को संवारना और साफ़ कपड़े पहनना ” 1827. بزرگوں کا احترام کرنا 1827. “ बड़ों का सम्मान करें ” 1828. بزرگون کی برکت 1828. “ बड़ों की बरकत ” 1829. راستے سے تکلیف دہ چیز دور کرنا صدقہ ہے 1829. “ रस्ते से हानिकारक चीज़ का हटाना एक सदक़ह है ” 1830. نجات کا موجب بننے والے اعمال، بلا ضرورت اپنے گھر سے باہر نہ جانا 1830. “ मुक्ति का कारण बन जाने वाले कर्म ، बिना कारण घर से बाहर नहीं जाना चाहिए ” 1831. نیکی کرنے کی نبوی وصیت 1831. “ नेकी करने के लिए रसूल अल्लाह ﷺ की वसियत ” 1832. راستوں میں بیٹھنے کے حقوق 1832. “ रस्तों पर बैठने के अधिकार ” 1833. اہم شاہراہوں پر رکاوٹ نہیں ڈالنی چاہئے 1833. “ आम रस्तों पर रुकावट पैदा नहीं करना चाहिए ” 1834. دلوں کو نرم کرنے کا نبوی نسخہ 1834. “ दिलों को नरम करने की रसूल अल्लाह ﷺ की नसिहत ” 1835. ایک مجرم کی وجہ سے پورے قبیلے کی مذمت کرنا سنگین جرم ہے، حقیقی باپ سے نسبت کی نفی کرنا سنگین جرم ہے 1835. “ एक अपराधी की वजह से पूरे क़ाबिले की निंदा करना एक गंभीर अपराध है ، असली पिता के साथ संबंध को नकारना एक गंभीर अपराध है ” 1836. تکلف وتصنع سے گفتگو کرنے والے لوگ ناپسندیدہ ہیں 1836. “ बकवास और बनावटी बातें करने वाले लोगों को पसंद नहीं किया गया ” 1837. بچے اور بچی کی طرف سے عقیقہ کرنا، اور لفظ عقیقہ کو مکروہ سمجھنا 1837. “ लड़के और लड़की की ओर से यक़ीक़ह करना और शब्द यक़ीक़ह पसंद नहीं ” 1838. عظیم امور پسندیدہ اور گھٹیا امور ناپسندیدہ ہیں 1838. “ महान चीज़ों को पसंद किया गया और बुरी चीज़ों को नापसंद ” 1839. اللہ تعالیٰ کے لیے محبت کا انجام خیر 1839. “ अल्लाह तआला के लिए मुहब्बत का अच्छा नतीजा ” 1840. کسی کو اللہ تعالیٰ کی مغفرت سے محروم نہیں سمجھنا چاہیے 1840. “ किसी के बारे में यह न समझना चाहिए कि अल्लाह उस को क्षमा नहीं करेगा ” 1841. زبان کئی گناہوں کا موجب ہے 1841. “ ज़बान कई पापों का कारण है ” 1842. ہر عضو زبان کی تیزی کی شکایت کرتا ہے 1842. “ हर अंग ज़बान के तेज़ होने की शिकायत करता है ” 1843. زبان باعث سعادت بھی ہے اور باعث شقاوت بھی 1843. “ ज़बान सुख का और दुख का भी कारण है ” 1844. زبان کے استعمال میں بےاحتیاطی کا نتیجہ 1844. “ ज़बान के उपयोग में लापरवाही ” 1845. اللہ تعالیٰ کی مغفرت کا سبب بننے والے اعمال 1845. “ ऐसे कर्म जो अल्लाह तआला की क्षमा का कारण बनते हैं ” 1846. مجلسوں کی سردار مجلس 1846. “ सभाओं कि सरदार सभा ” 1847. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم فرزندان امت کے حق میں ان سے بڑھ کر رحمدل تھے، غیر محرم مرد و زن کا ایک دوسرے کے کندھے یا سر پر ہاتھ پھیرنا کیسا ہے؟ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کا عورتوں سے بیعت لینے کا طریقہ 1847. “ नबी ﷺ मुसलमानों के बच्चों पर उन से अधिक मेहरबान थे। ग़ैर-महरम पुरुषों और औरतों को एक-दूसरे के कंधे या सिर पर हाथ फेरना कैसा है ? औरतों से बैअत लेने के लिए नबी ﷺ का तरीक़ा ” 1848. برتری کی بنیاد عمل صالح ہے، بدکلامی اور بخیلی، برے آدمی کی صفات ہیں 1848. “ ऊँचे दर्जे का आधार अच्छे कर्म हैं ، गंदी बातचीत और कंजूसी बुरे आदमी की निशानियां हैं ” 1849. بیان، جادو کی طرح مؤثر ہو سکتا ہے 1849. “ भाषण जादू की तरह प्रभावी हो सकता है ” 1850. شعر، حکمت و دانائی پر مشتمل ہو سکتا ہے 1850. “ कविता में ज्ञान हो सकता है ” 1851. شعر اور نثر میں فرق 1851. “ कविता और गद्य में अंतर ” 1852. برے اشعار کی مذمت 1852. “ बुरी कविता की निंदा ” 1853. سلام اور آمین پر یہودیوں کا حسد کرنا 1853. “ सलाम और आमीन पर यहूदियों का हसद ( जलना ) ” 1854. صحابہ کا اپنی پسند و ناپسند پر رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو ترجیح دینا 1854. “ सहाबा का अपनी पसंद और नापसंद पर रसूल अल्लाह ﷺ को प्राथमिकता देना ” 1855. جھگڑا اور مذاق ترک کرنے کی فضیلت 1855. “ झगड़े और मजाक़ छोड़ने की फ़ज़ीलत ” 1856. بے پردگی منع ہے 1856. “ पर्दा न करना मना है ” 1857. یتیم کی کفالت کرنے کی فضیلت 1857. “ अनाथ की देखभाल करने की फ़ज़ीलत ” 1858. حسن و حسین رضی اللہ عنہما کے سابقہ نام 1858. “ हज़रत हसन और हुसैन के पिछले नाम ” 1859. نامناسب نام تبدیل کرنا 1859. “ अनुचित नाम को बदल देना ” 1860. مدعو لوگوں کا داعی سے زائد افراد کے لیے اجازت طلب کرنا 1860. “ बुलाने वाले से अधिक लोगों के लिए अनुमति लेना ” 1861. حرم میں الحاد سنگین جرم ہے 1861. “ हरम में बेदीनी बात करना एक गंभीर अपराध है ” 1862. مشرکوں کی ہجو کرنا 1862. “ मुशरिकों की निंदा करना चाहिए ” 1863. لعنت نہ کرنے کی نبوی وصیت 1863. “ रसूल अल्लाह ﷺ की लअनत न करने की नसिहत ” 1864. ایسے امور سے، جن کی وجہ سے معذرت کرنا پڑے، اجتناب کرنے کی وصیت 1864. “ ऐसे मामलों से बचा जाए जिन के कारण क्षमा मांगनी पड़े ” 1865. تکبر اور نافرمانی کا عذاب دنیا میں بھی ملتا ہے 1865. “ अहंकार और आज्ञा का उल्लंघन करने की सज़ा दुनिया में मिलती है ” 1866. خوش خلقی، امر بالمعرف، نہی عن المنکر اور گزرگاہوں سے تکلیف دہ چیز دور کرنے جیسے امور خیر 1866. “ अच्छा अख़लाक़ ، अच्छे कर्म करने का हुक्म देना ، बुराई से रोकना और रस्ते से कोई हानिकारक चीज़ हटा देना जैसे कर्मों के बारे में ” 1867. ٹھہراؤ اور سنجیدگی کی فضیلت اور عجلت کی مذمت 1867. “ सब्र और गंभीरता की फ़ज़ीलत और जल्दबाज़ी की निंदा ” 1868. تکیہ، تیل اور دودھ رد نہ کیا جائے 1868. “ तकिए ، तेल और दूध को अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए ” 1869. اللہ تعالیٰ کی نظر رحمت سے محروم لوگ 1869. “ वे लोग जिन्हें अल्लाह तआला रहमत की नज़र से नहीं देखेगा ” 1870. رات کو اور دوران سفر خلوت اختیار کرنا منع ہے 1870. “ रात में और यात्रा के समय अकेले रहना मना है ” 1871. بنو قریظہ کی عہد شکنی کا انجام 1871. “ बनि कुरैज़ा के लिए समझौते को तोड़ने का नतीजा ” 1872. ایک مسلمان کے دوسرے مسلمان پر حقوق 1872. “ एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान पर अधिकार ” 1873. اہل و عیال کے حق میں بہترین سب سے بہترین ہوتا ہے 1873. “ अच्छा इंसान वह है जो अपने घर वालों के साथ अच्छा है ” 1874. مردوں کا تذکرہ شر کرنے سے اجتناب کرنا 1874. “ मरे हुए लोगों की बुराई करना मना है ” 1875. مسجد میں جنگی آلات کے ساتھ کھلینا 1875. “ मस्जिद में हथियारों के साथ खेलना ” 1876. نبی مہربان کا نابینے کی تمارداری کرنا 1876. “ रसूल अल्लाह ﷺ का एक अंधे की देखभाल करना ” 1877. بعض مریضوں کی تیمار داری جبریل امین کرتے ہیں 1877. “ कुछ रोगियों की देखभाल जिब्रील अलैहिस्सलाम द्वारा की जाती है ” 1878. مال و دولت کے ذریعے عزت کی حفاظت کرنا 1878. “ धन के द्वारा सम्मान की रक्षा करना ” 1879. مفید کلام یا پھر خاموشی 1879. “ उपयोगी शब्द कहना चाहिए या चुप रहना चाहिए ” 1880. جھوٹ کے جواز کی صورتیں 1880. “ झूठ कब और कहाँ बोला जा सकता है ” 1881. عزت والے مقام کا مستحق مالک خود ہوتا ہے 1881. “ सम्मान की जगह का अधिकार मालिक को होता है ” 1882. اللہ تعالیٰ اور اس کے رسول سے شرم و حیا کرنے کے تقاضے 1882. “ अल्लाह तआला और उस के रसूल के सामने शर्म करनी चाहिए ” 1883. گھر کے صحن کو صاف ستھرا رکھنے کی وجہ 1883. “ घर के आंगन को साफ़ रखने का कारण ” 1884. شکر گزار آدمی کی فضیلت 1884. “ शुक्र करने वाले व्यक्ति की फ़ज़ीलत ” 1885. ہر درجہ کے مسلمان کے لیے امور خیر کا تعین 1885. “ हर स्तर के मुसलमान के लिए अच्छे कर्म ” 1886. مال کا صدقہ نہ کر سکنے والے کے لیے صدقہ کی صورتیں 1886. “ जो लोग धन का सदक़ह नहीं कर सकते ، उनके लिए सदक़ह के रूप ” 1887. تربیت کے لیے اہل و عیال کو سزا دینا 1887. “ कुछ सिखाने के लिए परिवार के सदस्यों को सज़ा देना ” 1888. اکٹھا کھانا کھانے کی برکتیں 1888. “ साथ बैठ कर खाने की बरकतें ” 1889. بندے کا (۳۶۰) جوڑوں کا صدقہ اداکرنا 1889. “ बंदे का (360) हड्डियों या जोड़ों का सदक़ह करना ” 1890. «ذالك ادني ان لا تعولوا» کی تفسیر 1890. “ आयत « ذَٰلِكَ أَدْنَىٰ أَلَّا تَعُولُوا » की तफ़्सीर ( अर्थ ) ” 1891. سوتے وقت اپنے آپ کو دم کرنا 1891. “ सोते समय अपने आप पर दम करना ” 1892. مبلغین کا انداز تبلیغ 1892. “ तब्लीग़ यानि प्रचार करने का ढंग ” 1893. بات سمجھانے کے لیے تین دفعہ دوہرانا 1893. “ समझाने के लिए तीन बार दोहराएं ” 1894. گھر سے نکلتے وقت کی دعا 1894. “ घर से निकलते समय की दुआ ” 1895. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پیچھے فرشتوں کا چلنا 1895. “ रसूल अल्लाह ﷺ के पीछे फ़रिश्तों का चलना ” 1896. صحابہ کرام رضی اللہ عنہم کا اپنی ملاقاتوں میں سورہ عصر کی تلاوت کرنا 1896. “ सहाबा का किसी से मिलते समय सूरत अल-अस्र पढ़ना ” 1897. کسی کے گھر میں بلا اجازت دیکھنا جرم ہے 1897. “ बिना अनुमति के किसी के घर में झांकना अपराध है ” 1898. اسلام میں صرف دو عیدیں ہیں 1898. “ इस्लाम में केवल दो ईद हैं ” 1899. گھوڑی کو «فرس» کہنا 1899. “ घोड़ी को फ़र्स कहना ” 1900. اولاد آدم کا ہر فرد مسئول ہے 1900. “ आदम की औलाद का हर व्यक्ति ज़िम्मेदार है ” 1901. غیبت منع ہے 1901. “ ग़ीबत यानि पीठ पीछे बुराई करना मना है ” 1902. غیبت کا انجام بد 1902. “ ग़ीबत यानि पीठ पीछे बुराई करने का बुरा नतीजा ” 1903. غیبت کے جواز کی صورتیں 1903. “ ग़ीबत यानि पीठ पीछे बुराई करने का कारण ” 1904. غیبت اور بہتان میں فرق 1904. “ ग़बत यानि पीठ पीछे बुराई करने और आरोप के बीच का अंतर ” 1905. مومن پر سب و شتم کرنا کیسا ہے؟ 1905. “ मोमिन को बुराभला कहना या गाली देना कैसा है ” 1906. عورتوں کو راستوں کے کناروں پر چلنا چاہیے 1906. “ औरतों को रस्ते के किनारे चलना चाहिए ” 1907. پڑوسی کے حقوق 1907. “ पड़ोसी के अधिकार ” 1908. بہترین پڑوسی اور بہترین دوست کا انجام 1908. “ सबसे अच्छे पड़ोसी और सबसे अच्छे दोस्त के बारे में ” 1909. مومن قبیح خصائل سے پاک ہوتا ہے 1909. “ मोमिन में बुरी आदतें नहीं हुआ करती हैं ” 1910. مہمان کی میزبانی فرض ہے 1910. “ मेहमान की मेज़बानी फ़र्ज़ है ” 1911. میزبانی میں زیادہ تکلف نہ کیا جائے 1911. “ मेहमान की मेज़बानी में अधिक न किया जाए ” 1912. نقالی کرنا ناپسندیدہ ہے 1912. “ किसी की नक़ल उतरना पसंद नहीं किया गया है ” 1913. صبر عظیم نعمت ہے 1913. “ सब्र करना एक बड़ी नेमत है ” 1914. صبر کی عاقبت اور بے صبری کا انجام 1914. “ सब्र करने और सब्र न करने का नतीजा ” 1915. تعظیماً کھڑے ہونا کیسا ہے؟ 1915. “ किसी के सम्मान में खड़ा होना मना है ” 1916. نامناسب کام کا معیار 1916. “ अनुचित काम का दर्जा ” 1917. گھوڑے کو کھلانا بھی باعث اجر ہے 1917. “ घोड़े को खाना खिलाना भी सवाब का काम है ” 1918. اللہ تعالیٰ کے انعامات کا ذکر کرنا چاہئے 1918. “ अल्लाह तआला की ओर से दिए गए पुरस्कारों के बारे में बताना चाहिए ” 1919. والدین کے بعد کے تعلق داروں سے حسن سلوک کرنا 1919. “ माता-पिता के बाद रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए ” 1920. مکملات ایمان 1920. “ ईमान पूरा करने का तरीक़ा ” 1921. احسان کا بدلہ چکانا، جھوٹ کے دو کپڑے پہننے کا مفہوم 1921. “ अहसान का बदला ، झूठ के दो कपड़े पहनने का अर्थ ” 1922. مسجد کے آداب 1922. “ मस्जिद के नियम ” 1923. جاہلیت والی نسبتوں کی طرف منسوب ہونے والے کو کیا کہا جائے 1923. “ जाहिलियत के संबंधों के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति को क्या कहना चाहिए ” 1924. قبلہ کی سمت میں تھوکنا کیسا ہے؟ 1924. “ क़िब्ले की दिशा में थूकना कैसा है ” 1925. جانداروں سے رحم دلی سے پیش آنے کا صلہ 1925. “ जीवों पर रहम करने का इनाम ” 1926. خاموشی باعث نجات ہے 1926. “ मुश्किलों से बचना हो तो चुप रहना चाहिए ” 1927. اسلام کی فطرتیں 1927. “ इस्लाम का स्वभाव ” 1928. سوتے وقت کی دعا 1928. “ सोते समय की दुआ ” 1929. قطع رحمی اور جھوٹی قسم کا انجام بد 1929. “ बेरहमी और झूठी क़सम का बुरा नतीजा ” 1930. مردوں پر سونا اور ریشم حرام ہے 1930. “ पुरुषों के लिए सोना और रेशम पहनना हराम है ” 1931. غصے پر قابو پانے کا صلہ، اللہ تعالیٰ سے معذرت کرنا 1931. “ ग़ुस्से पर क़ाबू पाने का बदला और अल्लाह तआला से क्षमा की मांग करना ” 1932. معافی اور توبہ کرنے سے محروم کا انجام بد 1932. “ क्षमा न मांगने वालों और तौबा न करने वालों का बुरा अंत ” 1933. مسلمان بھائی کی ضرورت پوری کرنے کا صلہ 1933. “ मुसलमान भाई की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इनाम ” 1934. صبر کرتے ہوئے لوگوں میں گھل مل کر رہنا افضل ہے 1934. “ अच्छा होगा कि सब्र करें और लोगों से घुलमिल जाएं ” 1935. اُنس، مومن کی صفت ہے 1935. “ घुलमिल कर रहना मोमिन की विशेषता है ” 1936. مسلمانوں کے راستے سے تکلیف دہ چیز ہٹانا 1936. “ मुसलमानों के रस्ते से हानिकारक चीज़ें हटा देना चाहिए ” 1937. تصویرکشی 1937. “ तस्वीरें बनाना यानि चित्रकला ” 1938. سرکش اور مشرک کا انجام بد 1938. “ विद्रोही और मुशरिकों के लिए बुरा है ” 1939. لوگوں میں حقیقی رحم کرنے والا کون ہے؟ 1939. “ लोगों में रहम करने वाला कौन है ” 1940. مسجد میں مخصوص جگہ کا تعین منع ہے 1940. “ मस्जिद में अपने लिए किसी एक जगह का तय कर लेना मना है ” 1941. کسی کے لیے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے نام اور کنیت کو جمع کرنا 1941. “ किसी के लिए नबी ﷺ का नाम और कुन्नियत को जमा करना ” 1942. گالی نہ دنیے، کسی نیکی کو حقیر نہ سمجھنے، کسی کو عار نہ دلانے۔ اور چادر شلوار کو ٹخنوں سے اوپر رکھنے کی نبوی نصیحتیں 1942. “ गाली न देने ، किसी अच्छे कर्म को छोटा न समझने ، किसी को शर्म न दिलाने और चादर को टख़नों से ऊपर रखने के लिए रसूल अल्लाह ﷺ की नसीहतें ” 1943. چھپکلی فاسق ہے 1943. “ छिपकली दुष्ट होती है ” 1944. اللہ تعالیٰ کی لعنت اور غضب اور جہنم کی بددعا نہیں دینی چاہے 1944. “ अल्लाह तआला की लाअनत ، ग़ुस्से और जहन्नम की बद-दुआ नहीं देना चाहिए ” 1945. ہوا کو لعنت کرنا منع ہے 1945. “ हवा को लाअनत करना मना है ” 1946. مسلمانوں میں قطع تعلقی کے نقصانات 1946. “ मुसलमानों का आपस में संबंध तोड़ लेने का नुक़सान 1947. لوگوں کا شکریہ ادا کرنا 1947. “ लोगों का धन्यवाद यानि शुक्र करना ” 1948. کھتی باڑی کے لیے بعض عربی الفاظ کی تعلیم 1948. “ खेती के लिए कुछ अरबी शब्द सिखाना ” 1949. غلام اور مالک ایک دوسرے کو کیسے پکاریں 1949. “ ग़ुलाम और मालिक एक दूसरे को कैसे बुलाएं ” 1950. سلام کہنے، کھانا کھلانے، صلہ رحمی کرنے اور قیام اللیل کرنے کی فضیلت 1950. “ सलाम करने ، खाना खिलाने ، रहम दिली से काम लेने और रात में क़याम करने यानि नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत ” 1951. کسی سفر سے واپسی پر بیویوں کے پاس اچانک آنا منع ہے 1951. “ यात्रा से लौटने पर पत्नियों के पास अचानक आना मना है ” 1952. سیدنا عقبہ بن عامر رضی اللہ عنہ کو بیش قیمت نبوی نصائح 1952. “ रसूल अल्लाह ﷺ की ओर से हज़रत उक़्बाह बिन आमिर रज़ि अल्लाहु अन्ह को दी गई नसीहतें ” 1953. ہر کوئی پہلے اپنے گریبان میں جھانکے 1953. “ हर कोई पहले अपने गरेबान में झांके ” 1954. قاتل اور مقتول دونوں جنت میں 1954. “ क़त्ल करने वाला और क़त्ल होने वाला दोनों जन्नत में ” 1955. خالہ ماں ہی تو ہے 1955. “ मसि माँ ही होती है ” 1956. فحش گوئی سے اجتناب حکم 1956. “ गन्दी भाषा का उपयोग न करने का हुक्म ” 1957. بطور انتقام بھی فحش گوئی ممنوع ہے 1957. “ बदला लेने के लिए भी गन्दी भाषा का उपयोग मना है ” 1958. دائیں جانب کو مقدم کرنا 1958. “ दाईं ओर से शरू करना ” 1959. عیب پوشی، ایثار، غصہ پی جانے اور دینی بھائی کی ضرورت پوری کرنے کی فضیلت 1959. “ किसी की बुराई को छुपाना ، त्याग ، ग़ुस्से को पी जाना और मुसलमान भाई की ज़रूरत पूरी करने की फ़ज़ीलत ” |
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा الاداب والاستئذان آداب اور اجازت طلب کرنا अख़लाक़ और अनुमति मांगना کھتی باڑی کے لیے بعض عربی الفاظ کی تعلیم “ खेती के लिए कुछ अरबी शब्द सिखाना ”
محمد بن سیرین، سیدنا ابوہریرہ ہ رضی اللہ عنہ سے روایت کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”( اگر کوئی آدمی عربی زبان میں یہ کہنا چاہتا ہے کہ میں نے فصل کاشت کی تو) وہ «زَرَعتُ» نہ کہے، بلکہ «حرثت» کہے۔“ پھر سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے کہا: کیا تم نے اللہ تعالیٰ کا یہ فرمان نہیں سنا: «أَفَرَأَيْتُمْ مَا تَحْرُثُونَ ٭ أَأَنْتُمْ تَزْرَعُونَهُ أَمْ نَحْنُ الزَّارِعُونَ» ”اچھا پھر یہ بھی بتلاؤ کہ تم جو کچھ بوتے ہو۔ اسے تم ہی اگاتے ہو یا ہم اگانے والے ہیں۔“ (۵۶-الواقعة:۶۳، ۶۴)
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